आज टूटा हूँ , तो क्या हुआ कल फिर जुड़ जाऊँगा!
दरिया से बिछड़ा हूँ , कल सागर से मिल जाऊँगा!
आज अंधेरा हूँ , तो क्या हुआ कल सवेरा बन जाऊँगा!
भीड़ मे भी अकेला हूँ , कल सबका साथ निभाऊगा!
आज मिट्टी हूँ , तो क्या हुआ कल सुराही बन जाऊँगा!
काटो से घिरा हूँ , कल फूलो से टकराऊँगा!
आज पत्थर हूँ, तो क्या हुआ कल चट्टान बन जाऊँगा!
हवाओ का साथी हूँ ,कल तूफान बन जाऊँगा!
आज फकिर हूँ ,तो क्या हुआ कल राजा बन जाऊँगा!
सिक्को को तरसा हूँ , कल खज़ानो मे डुब जाऊँगा!
आज दर्शक हूँ , तो क्या हुआ कल अभिनेता बन जाऊँगा!
गुमसुम जो बैठा हूँ , कल तालियो मे गूंज जाऊँगा!