भावनाएँ उकेरी है.. कागज़ पर ,
जो ना समझे , तो बस ‘शब्द’ है !
जो समझ लिया ,वो निःशब्द है !
गहराई है ,इनमे सागर सी ..
तो नभ की उँचाई है !
यथार्थ है .. इस जीवन का ..
तो चिता की सच्चाई है !
व्यथा है उस..प्रेम की ..
तो प्रिये की अभिलाषा है !
यौवन की आग है …
तो हृदय की वो आशा है !
माँ का मातृत्व है …
तो पिता का पितृत्व भी !
बहनो का स्नेह …
उन मित्रो का मित्रत्व भी !
ये तन मेरा कागज़ है ..
रक्त मेरी स्याही है !
मन मेरी कलम …
और आत्मा अनुभव की सुराही है !
ये शब्द ही .. मेरा मोल है..
जो ना समझे , तो बेमोल है!
जो समझ लिया ,तो अनमोल है !
👌👌👌
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